One Nation, One Election: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कैबिनेट में भारत में “एक देश, एक चुनाव” के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिससे राजनीतिक और चुनावी में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के पीछे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता की समिति का योगदान है। अब सवाल यह है कि इसका फायदा किसको होगा?
NDA सरकार में बीजेपी के साथ-साथ चंद्रबाबू नायडू की TDP, नीतीश कुमार की JDU, और चिराग पासवान की LJP(R) जैसी बड़ी पार्टियां भी हैं। JDU और LJP(R) ने “एक देश, एक चुनाव” के समर्थन में हामी भर दी है, जबकि TDP ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
ठंडी में यह बिल संसद में पेश किया जाएगा, और अगर पास हो जाता है, तो इसे कानून बना दिया जाएगा, जिससे देश में एक साथ चुनाव कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठ जाएगा।
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो सभी विधानसभा चुनाव 2029 के लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाएंगे।
इन राज्यों में होंगे देरी से चुनाव
यदि ‘One Nation, One Election‘ (एक देश, एक चुनाव) की नीति लागू होती है, तो राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम, और तेलंगाना जैसे राज्यों में चुनाव प्रक्रिया में देरी हो सकती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है और अब एक समूह का गठन किया जाएगा, जो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाएगा। अगले कुछ महीनों में देशभर के अलग अलग मंचों पर इस विषय पर चर्चा की जाएगी, ताकि सभी पक्षों की राय को शामिल किया जा सके।
22 राज्यों में पहले ही कराने पड़ेंगे चुनाव
अगर ‘एक देश, एक चुनाव’ की नीति लागू होती है, तो देश के 22 राज्यों में समय से पहले चुनाव कराए जाने की जरूरत पड़ेगी। इसमें बिहार, कर्नाटक, दिल्ली, गोवा, असम, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं।
वहीं, कुछ राज्य जैसे ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पहले से ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराते हैं, इसलिए इन पर इसका कोई असर नहीं होगा।
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